कौन कहता है की खुदा ही सब खुछ होता है
पिता तो खुदा से भी अजीम होता है
इनका ख्याल आते ही जेसे नीद सी खुल जाती है
कितना भी थका हू मे जेसे जान सी आ जाती है
जिस पेड़ ने छाया दी मुझे अब उसे पानी देना है
बहुत कर चुके ये मेरे लिये अब मुझे इनके लिये कुछ करना है
कौन कहता है की खुदा ही सब खुछ होता है
पिता तो खुदा से भी अजीम होता है