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सोचा था तेरे प्यार की बारिश हो जाएगी मुझ पर
बंजर जिन्दगी हरी हो जाएगी तेरी हर मुश्कान पर
पर मै भी कहा रेगिस्तान को गुलिश्तां बनाने चला था
एक पत्थर दिल को प्यार सिखाने चला था
टूट कर बिखिर गया कांच के टुकड़ो की तरह
फिर भी हर टुकड़े मई चेहरा था बिलकुल तेरी तरह
हर पल खुद को भूल कर तेरे बिना तेरे अहसास के साथ जिया
कितनी बार गिरा संभला और फिर पिया ,और तेरे बिना,सिर्फ तेरे लिए ही जिया ... ♥